जमात उल विदा पर निबंध | Essay on Jamat ul Vida in Hindi
जमात उल विदा पर निबंध
जमात उल विदा रमजान के महीने में मनाया जाता है। इस माह के अंतिम शुक्रवार जिसे जुम्मे की रात भी कही जाती है उसे ही जमात उल विदा कहा जाता है.
मुस्लिमों में साल का सबसे पवित्र दिन के रूप में माना जाता है। जमात उल विदा के बाद ईद का त्यौहार मनाते हैं। इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग इस दिन कुरान को पढ़ते हैं क्योंकि मानना है कि अल्लाह इस दिन प्रसन्न रहते हैं इसलिए इस दिन की दुआ सीधे अल्लाह के पास पहुंच जाता है।
इस्लामिक देशों में इसे लेकर उत्साह रहती है। जमात उल विदा पर निबंध तथा रमजान जमात उल विदा एस्से इन हिंदी 10 लाइन इस पेज के माध्यम से देख सकते हैं.
यह त्यौहार आने के साथ-साथ कई खुशियां लेकर परिवार में शांति प्रेम भाईचारे का संदेश लाती है। इससे पहले तन मन धन से तैयारी करते हैं क्योंकि वर्ष में एक बार यह दिन अति खास होता है। तो चलिए जमात उल विदा पर निबंध पढ़ते हैं
जमात उल विदा पर निबंध 600 - 650 शब्दों मे। Essay on Jamat ul Vida in Hindi
जमात उल विदा मुसलमानों का प्रमुख पर्व में से एक है। इसे जुमा तुल विदा भी कहा जाता है। रमजान के अंतिम शुक्रवार को जुमे की नमाज को पढ़ा जाता है। यह रमजान का सबसे पवित्र दिन माना जाता है।
इस्लाम धर्म में रमजान के माह को वर्ष का पवित्र माह माना जाता है। यह महीना अल्लाह को समर्पित मानी जाती है क्योंकि लोगों की मुराद पूरी जल्दी होती है। पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं इस्लामिक देशों में इस त्यौहार को उत्साह भरे अंदाजों में मनाते हैं।
मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हैं कुरान का पाठ किया जाता है। यह त्यौहार ईद के पहले मनाया जाता है। मई के महीने में जमात उल विदा का उत्सव मनाया जाता है।
इस उत्सव के जाने के बाद ईद का त्यौहार मनाया जाता है। जमात उल विदा एक अरेबिकन शब्द है इसका सही अर्थ होता है जुम्मे के दिन नमाज को पढ़ना इस रमजान माह के अंतिम शुक्रवार को जमात उल विदा कहा जाता है।
इस दिन ही यह त्यौहार मनाया जाता है। यह एक धार्मिक त्यौहार है इसलिए अल्लाह से दुआ की जाती है। मुस्लिम लोग जुम्मे वाली शुक्रवार को अन्य शुक्रवार से काफी पवित्र मानते हैं। इस्लाम समुदाय के लिए जमात उल विदा सबसे प्रमुख पर्व है। दुनिया में मुस्लिम की आबादी दूसरे स्थान पर मानी जाती हैं मुस्लिम देश भी बहुत है वहां पर मैजोरिटी मुस्लिमों का ही है।
विश्व भर में खास रूप से जमात उल विदा को हर्ष उल्लास के साथ से मनाया जाता है। जमात उल विदा का शाब्दिक अर्थ माना जाता है जुम्मे वाले दिन की विदाई यानी रमजान महीने में पडने वाली जुमें शुक्रवार को अल्लाह को विशेष रूप से याद किया जाता है। इसी पर्व को अल विदा जुमा उर्दू में कहा जाता है। रमजान माह के सबसे अंतिम शुक्रवार को मनाया जाता है।
इस्लाम धर्म में मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद ने अल्लाह के इस दिन को पवित्र मानकर खास रूप से पुकारा था। उनकी इबादत करने से आसानी से और जल्दी प्रार्थनाएं सुनी जाती है इसलिए अन्य शुक्रवार से इस दिन के शुक्रवार को खास माना गया है। जमात उल विदा से मुस्लिमों का अलग जुड़ाव हो गया है।
नमाज पढ़कर रोजे रखकर अल्लाह का नाम लेते हैं तो उसकी मुराद पूरी की जाती है उस व्यक्ति की इच्छाओं से संतुष्ट किया जाता है। दूसरों को मदद करना सेवा करने से उनकी हर बाधा समाप्त होती है। उसका मनोकामनाएं पूर्ण होती है इस्लामी कैलेंडर के अनुसार से रमजान का महीना सबसे पवित्र होता है। इस माह के अंतिम शुक्रवार को जमात उल विदा के रूप में मनाया जाता है।
इस पर्व को मनाने वाले काफी समय से इंतजार करते हैं क्योंकि यह ईद के पहले का उत्सव है इसलिए नए नए पोशाक खलता-पजामा कुर्ता पहनकर मस्जिद, मजार, ईदगाह में नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं इस दिन इकट्ठे होकर नमाज़ को अदा किया जाता है।
गुनाहों गलतियों के लिए तोबा किया जाता है। दूसरों के गुनाहों गलतियों के लिए क्षमा और माफी दी जाती है नहीं तो अल्लाह से बरकत नहीं मिल पाती है। इस दिन गरीबों असहाय लोगों की सेवा करने पर अल्लाह बहुत ज्यादा प्रसन्न होते हैं। उस पर सालों साल भर बरकते मिलती रहती है। अच्छे कार्य करना एवं अच्छाई के रास्ते पर चलने का प्रण लिया जाता है।
मस्जिदों ईदगाह एवं मुस्लिम धार्मिक स्थलों को सजाया जाता है। अपने अपने घर को भी सजाते हैं। विभिन्न तरह के व्यंजन खाए जाते हैं। सेवाई इस दिन का स्पेशल प्रसाद माना जाता है। परिवार पड़ोस के संग हंसी खुशी के साथ जमात उल विदा को मनाया जाता है।
भारत, पाकिस्तान, ईरान, सऊदी अरब और तुर्की में आनंद के साथ इस उत्सव को मनाते हैं। हर शुक्रवार को जुमे की नमाज होती है लेकिन नमाज रमजान के जुम्मे को स्पेशल इसलिए भी कहा गया है क्योंकि इस दिन अल्लाह के पास सीधा दुआ जाता है। शुद्ध मन से जो कोई भी इबादत करता उसे शांति का आनंद महसूस होता है।
रमजान जमात उल विदा एस्से इन हिंदी 10 लाइन । 10 lines on Jamat ul Vida in Hindi
1). जमात उल विदा मुसलमानों का सबसे पवित्र त्योहार को कहा जाता है।
2). मुस्लिमों के सबसे पवित्र महीना रमजान के अंतिम देने के जुम्मे को कहते हैं। जुम्मा शुक्रवार के दिन को कहा जाता है।
3). जुम्मे को रमजान माह का सबसे पवित्र दिन माना जाता है।
4). इस दिन की रोजा अल्लाह के लिए सबसे प्रिय होती है।
5). इस दिन नमाज पढ़ने से अल्लाह विशेष रूप से सुनता है और गुनाहों को माफ करता है।
6). जमात उल विदा को बड़े ही शांति ढंग से गुजरते हैं क्योंकि यह रमजान के अंतिम दिन के रूप में देखा जाता है।
7). ईद का चांद देखने से पहले जो शुक्रवार का दिन आता है उसी दिन जमात उल विदा माना जाता है।
8). इस दिन सुबह से लेकर रात तक मुस्लिम धर्म है विश्वास करने वाले रोजे रखे रहते हैं।
9). भारत समेत मुस्लिम बहुसंख्यक देशों में जमात उल विदा को विदा किया जाता है।
10). कई लोग इस दिन सार्वजनिक रूप से शवों के साथ नमाज पढ़ते हैं और ईद के स्वागत के लिए बधाई देते हैं।
जमात उल विदा के निबंध में क्या जानकारी मिला - Jamat ul Vida essay :-
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