गुरु गोविंद सिंह जयंती पर निबंध हिंदी में -
Guru Gobind Singh Jayanti essay in Hindi
गुरु गोविंद सिंह जयंती पर निबंध
गुरु गोविंद सिंह जयंती को सिक्ख अनुयायी प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाते हैं। इसे एक जन्म उत्सव के रूप में मनाते हैं। पटना साहिब में इसे धूमधाम एवं भव्य तरीकों से मनाते हैं।
देश के कोने कोने से लोग यहां आकर गुरु गोविंद सिंह की जयंती मनाना पसंद करते हैं। ढेर सारी खुशियां आती है। उनके जन्मदिन के उत्सव के आने के साथ-साथ सिखों के फैमिली में इस पर्व को लेकर उत्सुकता रहती है। चेहरे पर रौनक से खुशियां ही खुशियां मिलती है।
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गुरु गोविंद सिंह प्रकाश पर्व के आने से पहले पटना साहिब को सजाया जाता है। रोड के किनारे रंग बिरंगे लाइट को लगाया जाता है। इसमें अनेक प्रकार की तैयारियाँ की जाती है।
गुरुद्वारे को सुंदर ढंग से सजाया जाता है। जिस तरह से गुरु नानक जयंती या सिख धर्म के गुरु की जयंतियों मनाते हैं। उसी प्रकार से ये जयंतिया भी मनाया जाता है। तो चलिए गुरु गोविंद सिंह जयंती पर निबंध हिंदी में इसे देख सकते हैं।
गुरु गोविंद सिंह जयंती पर निबंध 700 शब्दों में। Guru Gobind Singh Jayanti Essay in Hindi
गुरु गोविंद सिंह जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में जनवरी के महीने में मनाया जाता है। सिख धर्म में इस जयंती का विशेष महत्व माना गया है।
सिखों का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार में गिना जाता है। इन्हें सिख धर्म के दसवें गुरु के रूप में जाना जाता है।
बिहार राज्य के पटना साहिब में इसका जन्म हुआ था। यहीं पर धूमधाम से भी गुरु गोविंद सिंह के अनुयाई द्वारा मनाया जाता है।
इनकी जन्म जयंती को मनाने के लिए विभिन्न राज्य से अनुयाई दर्शन करने आते हैं। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना किये संस्थापक माने जाते है क्योंकि इसकी स्थापना उनके द्वारा ही की गई थी।
गुरु गोविंद सिंह अध्यात्मिक सिख धर्म के गुरु एवं महान योद्धा भी थे। इनके पिता ने सिख धर्म के नवें गुरु थे इसलिए अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए आध्यात्मिक रुप से ढल गए। बडी धूमधाम एवं उत्साह के साथ यह प्रकाश पर्व को मनाया जाता है। ये सिक्ख आस्था का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार भी है।
पौष माह शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। विदेशों में भी कई सिक्ख गुरुओं की जयंती मनाई जाती है। इनमें गुरु गोविंद सिंह की जयंती भी शामिल है।
इनका जन्म 5 जनवरी 1666 ( विक्रम सवंत 1727 ) में बिहार राज्य के पटना साहिब में हुआ था। उस समय पाटलिपुत्र का हिस्सा हुआ करता था। इनका जन्म के वक्त इनके पिता उपदेश देने असम गए हुए थे। उनकी पिता सिख धर्म के नवें गुरु थे इनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर सिंह तथा माता का नाम गुजरी था।
गोविंद जी की अच्छी शिक्षा मिले इसके लिए पूरा परिवार आनंदपुर में 1672 में आया।यही पर पंजाबी फारसी व संस्कृत शिक्षा ग्रहण करना शुरू किया।
कई कश्मीरी पंडितों बहुत जोरो शोरों से धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनाए जाने लगा था जिससे सिख धर्म के 9वें गुरु तेग बहादुर सिह को बुरा लगा। उसके विरुद्ध शिकायतें की गई जिससे 11 नवंबर 1675 ईस्वी में औरंगजेब ने चांदनी चौक पर तेग बहादुर सिंह का सिर कटवा डाला।
29 मार्च 1676 को इनकी कारवां को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सिख धर्म के दसवें गुरु के रूप में गुरु गोविंद सिंह जी को बनाया गया। भावनात्मक एवं कठिन परिस्थितियों से मुकाबला कर कई सौगंध के साथ सिख धर्म को ऊंचा बनाया और कई काम किए। जिससे आज सिक्ख लोग गौरवान्वित महसूस किया करते हैं।
उनकी आकर्षण वीर योद्धा की तरह बनना बचपन से मन था। लगभग नौ वर्ष की छोटी सी उम्र से ही योद्धा बन चुके थे। दुख के पहाड़ जख्म को भरने के लिए एवं धर्म की रक्षा के लिए राजाओं मुगलों के साथ मुकाबला करना पड़ा।
प्रत्येक वर्ष गुरु गोविंद सिंह जयंती पौष महीना के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को जन्म उत्सव मनाया जाता है। यह जनवरी के महीने में मनाई जाती है।
पटना साहिब में गुरु गोविंद सिंह की जयंती की बड़ी धूम रहती है। सारे शहर को लाइटों से सजाया जाता है एवं उनकी जयंती पर शुभ कामनाएं वाले पोस्टर लगाए जाते हैं।
लोगों को दिल से दुआएं दी जाती है। जरूरतमंद लोगों को भरपूर सहयोग एवं सेवा की जाती है। सिख अन्यायी खुशियां मनाते हैं। सुबह के पहर प्रभात फेरी निकाली जाती है।
गुरुद्वारे में कीर्तन भजन एवं खालसा पंथ पढ़े जाते हैं। लंगर लगाकर भोजन कराने जाते हैं। इस दिन स्पेशल भोजन भी कराए जाते हैं। कई स्थानों पर विभिन्न तरह की झांकियां एवं कर्तव्य दिखाए जाते हैं।
सिख धर्म में विश्वास करने वाले लोग गोबिंद जी की भक्ति में लीन रहते है। अपने अपने घरों में अपने धर्म की परंपरा को निभाते हुए इन जयंती को सेलिब्रेट किया जाता है।
गुरु गोविंद सिंह जी की पहली शादी 21 जून 1677 को माता गीतों के साथ हुआ था। उस समय उनकी उम्र 10 वर्ष मानी जाती थी। इनसे तीन पुत्र धन की प्राप्ति हुई दूसरा शादी 4 अप्रैल 1684 को माता सुंदरी के साथ हुआ।
इनसे एक पुत्र का सौभाग्य मिला। तीसरी शादी 15 अप्रैल 1700 को माता साहिब देवा से किया। इनसे संतान की प्राप्ति नहीं हुई इस तरह से गुरु गोविंद सिंह की तीन शादियां हुई थी।
इन्हें सर्वस्वदानी भी कहा जाता है जो अपना सब कुछ बलिदान कर देता है। धर्म को नए रूप से स्थापित करने के लिए स्वयं कई ग्रंथों की रचना भी किया मानवता को फैलाने के लिए आध्यात्मिक रूप से लोगों के बीच पहुंचाया. उपदेश में अपने ज्ञान को बांटा।
गुरु गोविंद सिंह जयंती पर 10 लाइन हिंदी में । 10 Lines On Guru Gobind Singh Jayanti in Hindi
1. गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु माने जाते हैं।
2. इनके पिता जी का नाम गुरु तेज बहादुर सेंट था इनके पिता भी सिख धर्म के नौवें गुरु कहे जाते थे।
3. इंटर माता जी का नाम माता गुजरी था. बचपन में लालन पालन इन्होंने ही की थी।
4. गुरु गोविंद सिंह का जन्म 5 जनवरी 1666 ई. को हुआ था।
5. गुरु गोविंद सिंह का जन्म बिहार के पाटलिपुत्र जैसे स्थानों पर हुआ।
6. गुरु गोविंद सिंह की शिक्षा आनंदपुर में हुई वे पंजाबी भारतीय संस्कृत भाषा में शिक्षा ग्रहण किए।
7. गुरु गोविंद सिंह तीन शादियां किए थे। पहली पत्नी जीतू दूसरी पत्नी सुंदरी तथा तीसरी पत्नी साहिब देवा थी।
8. प्रत्येक वर्ष गुरु गोविंद सिंह की जयंती जनवरी महीने में मनाई जाती है।
9. गुरु गोविंद जी आध्यात्मिक गुरु के साथ-साथ एक महान योद्धा एवं कवि भी थे।
10. गुरु गोबिंद सिंह खालसा पंथ की स्थापना की थी और गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा इन्होंने ही किया था।
गुरु गोविंद सिंह जयंती के निबंध में क्या जानकारी मिला - Guru Gobind Jayanti's Essay in Hindi
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