भारत में अनेकों पर्व है. लेकिन यह पर्व उन पर्वो में सबसे प्रमुख है जिसकी आज हम आपको बताने वाले हैं पर्व की शुरुआत जिसे कहा जाता है इसलिए हिंदू धर्म में विशेष स्थान इसका दिया गया है. भारत सदियों से पर्वों को बड़े धूमधाम और हर उल्लास से मनाते आ रहा है. अनेक भाषीय भिन्न-भिन्न विचार वाले समाज इस पर्व को बड़ी आदर पूर्वक मनाने में अग्रि रहते हैं और अपने पीढ़ी को बताते हैं जिनसे वे लोग भी जाने जो अभी से पहले नहीं जानते हो तो आइए नवरात्रि में बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.
नवरात्रि क्या है
नवरात्रि हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है.यह खुशियों से भरने वाला पर्व है भारत में इसकी काफी महत्व है इसीलिए भारत में श्रद्धा एवं भक्ति से मनाया जाते हैं. ज्यादातर माताएं एवं बहने खास तौर पर मनाते हैं.नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है इसका उल्लेख पुराणों में मिलता है नवरात्रि यानि नौ शुभ रात्रि, इसे पहले दिन से पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता है और मां दुर्गा के नाम से पूजा की जाती है इसे हिंदी और अंग्रेजी में नवरात्रि ( Navratri ) कहा जाता है यह वर्ष में दो बार मनाया जाता है.पहला चैत्र नवरात्रि और दूसरा आश्विन नवरात्रि में बड़ी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.इसमें सबसे महत्वपूर्ण अश्विन के माह की नवरात्रि होती है जिसे मनाने के लिए कई महीनों तक इंतजार करते हैं.
नवरात्रि को नवरात्रि, नवरात, नराते, नवरातर के नाम से भी जानते हैं.दिन से स्कूलों कॉलेजों मे छुट्टी होती है.इस दिन से हिंदू धर्म में नए दिन की शुरुआत हो जाती है.जिस दिन से शरद नवरात्र तथा मां दुर्गा की कलश स्थापना की जाती है.नौ दिनो तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है.
नवरात्रि कब मनाई जाती है
नवरात्रि वर्ष में दो बार विशेष रूप से मनाई जाती है.हिंदू धर्म का नव वर्ष भी इसी दिन से शुरू होती है.हिंदू कैलेंडर के अनुसार से नवरात्रि चैत्र और आश्विन के माह में पड़ता है.यह गेग्रोरियल कैलेंडर के अनुसार से अप्रैल और अक्टूबर के महीने में आता है.
वर्ष 2022 में नवरात्रि 26 सितम्बर से शुरू होकर 04 अक्टूबर तक चलेगी.यह दिन क्रमशः चौथे सोमवार ( सितम्बर ) से शुरू होकर पहले मंगलवार (अक्टूबर ) तक मनायी जाएगी. इसके अगले दिन 05 तारीक को दशहरा का त्योहार है .
नवरात्रि क्यों मनाई जाती है - Why are celebrate Durga Puja or Navratri in Hindi
नवरात्रि दो बार आती है यह दोनों अलग अलग उपलब्धियों के आधार पर मनाया जाता है.एक जुड़े हैं मां दुर्गा से तो दूसरे जुड़े हैं भगवान राम से, हालांकि दोनों नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है पहली मान्यता है कि एक विशाल राक्षस रहता था. जिसका नाम महिषासुर था वह सभी देवी देवताओं के राजा और अमर होना चाहता था. इन सभी चीजों के लिए उसने ब्रह्मा जी के नाम से तपस्या शुरू कर दिया गंभीर तपस्या से उसने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया.ब्रह्मा जी उसे अपना प्यारा भक्त मानकर उसे जो चाहे वह मांगने की आजादी दे दी. महिषासुर अपने इच्छा को पूरा करने के लिए अमर होने का विशेष मदार मांगा.तो ब्रह्मा जी को और उससे बोले कि हे भक्त इस जगत में जो आया है उसकी मृत्यु अटल है.इसलिए इसे छोड़कर अन्य वर मांग लो जो मैं तुम्हें दे सकता हूं.महिषासुर को घमंड आया हुआ था इसलिए उसने ऐसा वर मांगा और कहा कि मुझे ना तो देवता ना ही दानव और ना ही मनुष्य के द्वारा मेरी मृत्यु हो.
ब्रह्मा जी तुरंत तथास्तु कहकर वरदान दे दिए.उसके बाद महिषासुर और अहंकारी बन गया.महिषासुर यह वरदान पाकर सभी राक्षसों का राजा बन गया और देवताओं पर आक्रमण करने पहुंचा.सभी देवता राक्षसो से मुकाबला किया लेकिन महिषासुर के सेनाओ के सामने सारी कोशिशें नाकाम हो गई.अंत में देव लोग में अपना स्थान बना लिया और देवता उनके गुलाम हो गये.यह सब देखा नहीं गया तो सभी देवता भगवान विष्णु से प्रार्थना किए कि आप महिषासुर से रक्षा करें और अनहोनी को रोके.तब उन्होंने एक सुंदर औरत को बनाए और उन्हें अनेकों शक्ति से परिपूर्ण कर दिए.महिषासुर इतनी सुंदर स्त्री को देख उन पर फिदा हो गया.उनसे शादी करने की ठान लिया और महिषासुर देवी के पास प्रस्ताव भेजा.शादी करने के लिए बार बार कहने पर देवी ने एक शर्त रखी थी हम से शादी करने से पहले हमें हराना होगा उनके इस शर्तो को मान लिया और तब से महिषासुर और देवी के बीच युद्ध शुरू गया.देवी अलग-अलग रूप की अलग-अलग शक्ति से उनसे नौ दिनों तक लड़ाई लड़ी अंत में दसवे दिन असली रूप में आकर महिषासुर का सर्वनाश कर दिया.
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अश्विन नवरात्रि
रावण को मारने के लिए राम भगवान ने नौ देवी शक्तियों की पूजा किए वो भी पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की शक्ति पाने के लिए दुर्गा माता का व्रत रखें नौ दिनों तक उनके गुणगान किए और दसवें दिन पूरी शक्ति से रावण का वध कर दिये.तब से आज तक विजयदशमी के रूप में तथा नवरात्रि का प्रचलन शुरू हो गया जिसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है.
नवरात्रि का क्या महत्व है
नवरात्रि का धार्मिक मान्यता भी है और मौसम में बदलाव का कारण भी है.इसलिए चैत्र नवरात्र को ग्रीष्म नवरात्रि कहा जाता है और अश्विन नवरात्रि को शरद नवरात्रि कहा जाता है.
नवरात्रि हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखता है.माता के दरबार में जो जाते हैं आशीषे पाकर ही आते हैं नवराति मां दुर्गा का शुभ दिन माना जाता है नवरात्रि गंदे विचारों, बुरी आदतों को छोड़कर नए जीवन जिंदगी की शुरुआत करते हैं.अपने भक्तों पर इस दिन विशेष आशीर्वाद बरसाते हैं और कई इच्छाएं पूर्ण करती है.कहते हैं मां के घर में देर है अंधेर बिल्कुल भी नहीं.मां के नौ रूपों की शुरुआत इसी दिन से हुई थी.नवरात्रि मे या नवरात्रि के आठवे या नौवे दिन में नौ बाल कन्याओं को देवी का रूप में उन्हें विशेष सेवा की जाती है.माना जाता है इससे मां दुर्गा उनको सभी वरदानों से पूर्ण करती है एवं उन्हें संकट में पड़ने नहीं देती है.मां दुर्गा के पास कई शक्तियां मौजूद है, इसलिए दुखी भक्तों को अपनी शक्ति से खुश करते हैं.
भारत के हर कोने में नवरात्रि का जश्न चलता रहता है जहां-जहां बड़े उल्लास से मनाया जाता है वहाँ विशेष आशीर्वाद कृपा बरसती है.भारत के महत्वपूर्ण राज्यों बंगाल, बिहार, झारखंड उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र जैसे भारत के महत्वपूर्ण राज्य में भव्य तरीके से नवरात्रे मनाया जाता है.
नवरात्रि का मतलब यानी नव का अर्थ होता है नौ तथा रात्रि का अर्थ होता है रात अर्थात नौ रात ,मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नौ रात तक श्रद्धा पूर्वक की जाती है.सभी नवरात्रि एक ही अनुसार से की जाती है.
मां दुर्गा का नौ रूप का नाम जानें
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री.
नवरात्रि कैसे मनाते हैं
मां दुर्गा के भक्ति का सुंदर नजारा नवरात्रि के त्योहार में ही देखने को मिलता है.यह मां दुर्गा के लिए विशेष दिन है हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार नवरात्रि को ही माना गया है इसलिए इन्हीं संस्कृतियों एवं विधि विधान से नवरात्रि का त्यौहार मनाते हैं.परंतु भारत के हर एक राज्य में अलग-अलग संस्कृतियों के साथ पूजन पद्धति की क्रिया की जाती है.गुजरात में डांडिया और गरबा खेल कर नवरात्रि मनाते हैं इस मौके पर कई समारोह जैसे नवरात्रि जागरण कार्यक्रम होते हैं.
नवरात्रि के पहले घर को साफ सुथरा कर सभी कमरों को फूल व झाड़ियों से सजा लेते हैं और कई तरह के रंगोली अपने आसपास बना कर रखते हैं.सभी घरों में गंगाजल का छिड़काव कर घर को पवित्र कर लेते हैं.उसके बाद ही पूजा का कार्यक्रम आगे बढ़ाते हैं.
सुबह जागते ही गंगा स्नान करने जाते हैं.कई लोग मंदिर जाते हैं.इसे घर में रहकर भी नवरात्रि मनाते हैं.माता एवं बहनों इस दिन नवरात्रि व्रत रखते हैं घर में नौ बाल कन्या को देवी स्वरूप बनाकर उन्हें पूजा किया जाता है.उन्हें चुनरी सिंगार कर सजाया धजाया जाता है.मां दुर्गा के पूजा आरती करने के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है.
मां दुर्गा के कलश स्थापना और दुर्गा स्थापना का दिन भी होता है.
नवरात्रि का पूजन विधि
• सबसे पहले स्नान कर नए कपड़े पहनते हैं.
• गंगाजल के छिटे मारकर पूजा वाले जगह को पवित्र करते हैं.
• इसके बाद चौकी और उस पर लाल कपड़े दिखाते हैं.
• अपने हाथों द्वारा अक्षत से नौ कोने बनाते हैं.
• चौकी पर भगवती की प्रतिमा रखते हैं.
• प्रतिमा के सामने गंगाजल भरा कलश रखे और मौली बांधते हैं.
• आम के पत्ते से सजाकर कलर्स पर रखते हैं.
• साथ में सुपारी हल्दी चावल सिक्का भी रखते हैं.
• अब नारियल में माऊली बांधकर आम के पत्ते के ऊपर रखते हैं.
• जी का अखंड दीप जलाएं ध्यान रहे दीपक नौ दिनों तक जलता रहनी चाहिए.
• कुमकुम से माता रानी को और कलश को तिलक करते हैं.
• माता को चुनरी और फूल के माला चढ़ाएं.
• माता के समक्ष मीठा फल चढ़ाएं.
• दुर्गा पाठ के बाद कपूरिया घी का दीप जलाकर मां का आरती करें और अपने आसपास सभी को आरती दिखाए.
• अंत में प्रसाद वितरण करते हैं.
नवरात्रि पर्व से क्या संदेश मिलता है
नवरात्रि पर संदेशों शुभकामनाएं, मंगलमय की कामनाओं का दौर चलता रहता है.लेकिन नवरात्रि हमें अनेकों सीख सिखाती है.नवरात्रि आते ही खुशियों से हमारे जिंदगी भर जाता है और रोशनी लेकर हमारे दिल दिमाग में छा जाती है.यह त्यौहार उन्हें समर्पित है जो दुखित मन से जीवन जी रहे हैं उन्हें ढाहस- सांत्वना देती है.जीतने के लिए समय लगता है और जीतने के बाद शांति का आभास होता है.कहा जाता है नवरात्रि जीत का पहला दिन है.संघर्ष का प्रतीक एवं रक्षा करने का प्रतीक है मानवता और धर्म की रक्षा करने का संदेश एवं सीख देती है.
इस पोस्ट में आपने क्या सीखा
आशा करता हूं कि इस ब्लॉग पोस्ट से आपको बहुत कुछ जानने का मौका मिला होगा, कि नवरात्रि क्यों मनाई जाती है और नवरात्रि कैसे मनाते हैं .
धन्यवाद!