दीवाली मनाने के साथ ही घर घर में रोनक दिखना शुरू हो जाता है ऐसे तो बिहार मे अनेको पर्व मनाये जाते है मगर छठ महापर्व पूजा की बात की जाए तो रोम रोम उमंग से भर जाता है छठ गीत भजन हमारे कानों को सुकुन देती है सालों का इन्तजार इस पर्व कं आने के बाद खत्म होता है और सुन्दर दिनो मं प्रवेश करते हैं पावन धरती का पावन पर्व बिहार का महापर्व छठ पूजा आखिर बिहार में ही क्यों मनाया जाता है?
एक अलग ऊर्जा भक्ति आस्था के साथ मनाये जाने वाला छठ पर्व कब है , कैसे मनाया जाता है तथा मनाने को लेकर इतिहास का महत्व क्या कहती है इस पोस्ट में जानेगे । आइये जानते है छ्ठ पूजा क्या है ।
वर्ष में दो बार छ्ठ पर्व मनाई जाती है पहला चैती छ्ठ के नाम से जानते हैं दूसरा कार्तिकी छ्ठ । दूसरी वाली छ्ठ कार्तिकी बड़े स्तर पर मनाई जाती है । इस समय बिहार के लोग अपने गाँव घर में रह कर महापर्व को मनाना पसंद करते है।
मुख्य पोइंटस
प्रकृति को समर्पित पर्व चार दिवसीय छठ,
छठ पर्व कब है , कैसे मनाया जाता है तथा मनाने को लेकर इतिहास का महत्व क्या कहती है आखिर बिहार में ही क्यों मनाया जाता है?
बिहारवासी हिन्दुओं का महापर्व छठ
क्या है छ्ठ महापर्व व्रत
छ्ठ पूजा बिहार में हिन्दुओं के द्वारा सर्वाधिक मनाया जाने वाला महापर्व है । इसकी चर्चा देश विदेश में भी होती है छ्ठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा आस्था वाला पर्व है लोकप्रिय पर्वो में मकर संक्रान्ति के बाद छठ पूजा ही है इस दिन सूर्य देव को अर्ध्य दिया जाता है
छठ पूजा मे घोड़े पर सवार माता की पूजा की जाती है प्रकति को समर्पित छठ पर्व मानी जाती है । पहली अर्थ्य शाम में दूबते हुए सूर्य की तो दूसरी अध्य सुबह उगते हुए सूर्य को फल-फूल-प्रसाद से अर्थ्य दी जाती है छ्ठ को कई नामों से जानते है छ्ठ महापर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाई जाती है इसलिए इसे षष्ठी पूजा छ्ठ पूजा छठी माता की पूजा कं रुप में जानते हैं ।
बिहार में छ्ठ पूजा को इतना ज्यादा महत्व क्यों दी जाती है आहये जानते है
दोस्तों हर राज्य का कोई न कोई पर्व त्योहार चा फिर जयंति उस क्षेत्र का खास दिन बन जाता है ठीक बिहार के लोगों के लिए ऐसी घटना जो वरदान बन कर आयी जो साल दर साल इस त्योहार का महत्व कई गुणा बढ गया तब से प्रत्येक हिन्दु परिवारों में छठ महापर्व को मनाया जाने लगा ' महाराष्ट्र में गणेश पूजा बंगाल में दुर्गा पूजा ' और बिहार में छ्ठ पूजा प्रसिद्ध है ।
छ्ठ महापर्व मनाने के पीछे, इतिहास का महत्व कितना खास है
पौराणिक कथा के अनुसार छ्ठ व्रत का प्रचलण माना जाता है
महाभारत के अनुसार - कर्ण सूर्यदेव के सबसे बडे भक्त थे वे पानी में जाकर कई घंटो तक खड़े होकर भगवान सूर्य को जल चढ़ाते थे भगवान सूर्यदेव की प्रसन्नता की वजह से कर्ण एक महान योद्धा बने तब से सूर्य को अर्ध्य देने की परपरा का महत्व बढ़ गया आप देखेगे कि छठ पर्व में व्रती महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती है ।
ऐसी ही कथा एक और है जो षष्ठी माता का व्रत रखी थी जब पांडवों का साम्राज्य था उस समय जुआ की लत से अपने साम्राज्य को हार गया उसे पाने के लिए कई प्रयास किए अन्त मॅ दौपती ने माता षष्ठी का व्रत रखी वरदान स्वरूप पुनः साम्राज्य को पांडवों ने जीत लिया तब से षष्ठी के दिन षष्ठी माता का मान बढ़ गया उसके बाद सूर्य को अर्घ्य तथा व्रत रखने की परंपरा कायम हो गई
एक घटना के बाद छ्ठ मनाने वालों की भक्ति बढ गई
पुराण में स्पष्टी - राजा के पास जो होना चाहिए था धन दौलत सुख समृद्धि वो सब कुछ था लेकिन फिर भी राजा असहाय सा दिखते थे क्यों दुःखी रहते थे क्योकि उनके कोई संतान नहीं थे महर्षि कश्यप यह जान कर उस राजा से इच्छा जताया कि वें पुत्रयेष्टि यज्ञ कराये इससे संतान प्राप्ति की सुख मिलती है तब प्रियव्रत राजा ने यज्ञ का आयोजन करवाया
कुछ समय बाद राजा की पत्नी को पुत्र हुआ लेकिन उसके शरीर में प्राण नहीं था मृत शरीर को जब दफनाने ले गये जैसे ही मृत संस्कार की तैयारी हो रही थी तभी दैव्य शक्ति की भविष्यवाणी हुई और बोली कि मै षठी माता हूँ जो विश्व बालको का कल्याण करती हूँ उसकी रक्षा करती हूँ जो षष्ठी माता का पूजा करेगी उसकी रक्षा मै स्वयं करुगी
षष्ठी मां ने उस मृत शरीर में प्राण डाल दी और वहां से चली गई ये खबर फैलने के बाद पूरे साम्राज्य के लोग छठ पूजा करना शुरु कर दिया लोग आज भी हर प्रकार की समस्या से मुक्त होने के लिए षष्ठी पूजा करते है
इस वर्ष कब आएगी
छ्ठ के चार दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं पहला दिन खरना बिहार में नहाय खाय बोलते है दूसर दिन लोएडा इस दिन खीर पूरी और लड्डू की प्रसाद खाया जाता है
तीसरे दिन छ्ठ महापर्व का सबसे बडा दिन होता है इस दिन शाम को ड्बते हुए सूर्य यानि सूर्यास्त के समय अर्ध्य दिया जाता है चौथे दिन छ्ठ महापर्व के अन्तिम दिन होता है इस दिन सूर्योदय यानि सुबह में उगते हुए सूरज देव को जल चढाते है छठव्र र्ती महिला व्रत को प्रसाद खाकर तोड़ती है
कब - कार्तिक मास के शुक्ल षष्ठी को हर वर्ष मनाया जाता है गैग्रोरियल कैलेण्डर के अनुसार से अमूमन नवम्बर माह में छठ पूजा मनाई जाती है ।
क्यों छठ व्रत का महत्व खास है
छ्ठ पर्व लोगो के लिए उम्मीद बन कर आती है जिस तरह से प्रियव्रत राजा कं साथ हुआ उसे यज्ञयेष्ठि कराने से संतान सुख मिला और षष्ठी माता का दर्शन हुआ और बच्चे में प्राण आ गई थी ठीक हर परिवार मे सुख
समृद्ध आति रहे अपने परिजनो के दीघार्यु स्वास्थ्य कं लिए कई मां व्रत रखती है
महिलाए संतान सुख की प्राप्ति के लिए बच्चॉ के भविष्य बिगड़ी कामो को सुलझाने के खास व्रत करते है
इसीलिए संपूर्ण भाव से छठी माई की भक्ति और सूर्य देव को अध्ये दिया जाता है सूर्यदेव षष्ठी माता भाई बहन का रुप माना जाता है इसीलिए छ्ठ पूजा में सूर्य को ज्ल चढ़ाते है। इज पर्व को कोई भी कर सकता है महिला पुरुष कोई भी व्रत रख सकता है