कई सांप विशैले होते कई सॉप काफी जहरीले होते है मगर हिन्दू धर्मे मे मान्याता है सापों को पूजना सर्प से जुड़ा पर्व भारत में हिन्दुओ के द्वारा मनाया जाता है क्या आप उस पर्व के नाम जानते है तो ठीक क्या है नाग पंचमी और कैसे मनाते ? इसे शिव के गले मे साँपों को तो जरुर देखे होगें मगर क्या यही कारण है कि नाग पंचमी मनाते हैं
शिव के भक्त ऐसा ही धारणा रखते है हालाकि सिर्फ एक कारण नहीं है मनाने का हिन्दूओं मे सदियो से ये परम्परा चली आ रही है नाग को पूजा करने का नागपंचमी क्या है ये पहले जानिये !
नाग पंचमी क्या है
नाग पंचमी भारत के हर क्षेत्र मे मनाया जाने वाला हिन्दुओ का खास पर्व है यहाँ तक की नेपाल में भी इसकी रौनक दिखती है इस दिन स्वादिष्ट व्यंजन का पकवान बनाने का रिवाज भी होती है इल दिन कटहल का फ्ल खाया जाता है साथ में पूरी व मिठास पकवान भी खाते है श्रावण सावन माह में शुक्ल पंचमी को हिन्दु कैलेण्डर की तय तिथि को मनाया जाता है शिव भगवान के गले मे माला की तरह पहने रहते है शंकर जी को हिमालय पर रहना और जानवरो से गहरा लगाव था इसीलिए नाग देव शिव के भक्त बन गये तब से शिव अपने गले में सॉप को बाधे रहते है नाग पंचमी को उत्तर भारत में सबसे ज्यादा मनाते है कुछ राज्य मे इसी पर्व को अलग नामो मे जानते है
कैसे मनाएं जाते है पर्व नागपंचमी की खास विशेषता क्या है
जैसा की आप सब जानते है कि बचपन से बड़ो जनो से जो सुनते आ रहे हैं उसी को हकीकत मान लेते है मगर क्या वो कहानिया सही है जिसे हम सुनते आ रहे हैं कि आखिर नागपंचमी की खास विशेषता क्या है कैसे मनाए जाते है !
सापो की पूजा करने की परम्परा कई वर्षो से चला आ रहा है स्पष्त है पौराणिक कहानियां में सर्प पूजन का जिक्र ऐसा इसीलिए कि भय जो साँपो के द्वारा रहता है दत विष से बचने के लिए सांपों को पूजा किया जाता है
माना जाता है पौराणिक कथा के वजह से सर्प पूजन का विधान होता है अर्जुन के वंश राजा परीक्षित के बेटे जनमेजय था परीक्षित के बेटे को मालूम पड़ा कि मेरे पिता की मृत्यु का वजह सर्पदंश के काटने से हुआ तो सर्प संबंधि यज्ञ का आयोजन कराया जिससे जनमेजय के पिता की आत्मा को शांति मिल सके काटने वाले सर्प से बदला लें सके लेकिन आस्तिक मुनि ने सर्प रक्षा हेतू बीच में ही रुकवा दिया ये दिन श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी थी अग्नि के ताप से बचाने के लिए मुनि कच्चा दूध सर्प के शरीर पर छिड़क दिया तब नाग के वंश बच गया और नाग पर दूध डालने की परंपरा शुरु गई ।