गोवर्धन पूजा पर निबंध। Essay on Govardhan Puja in Hindi
यह एक पारंपरिक त्यौहार है जिसे हिंदू बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। कृष्ण के समय से ही इसे मनाया जा रहा है और कहा जाता है कि कृष्ण जी के कहने पर गोवर्धन पूजा की गई थी। इस पर्व को अन्नकूट भी कहा जाता है।
ब्रजभाषा के लिए खुशी का दिन माना जाता है कृष्ण जी के अनुयाई बड़े ही हर्ष आदर के साथ नाम लेते हैं। इस उत्सव को मनाने के लिए ज्यादा रुचि लेते हैं। इसे प्रकृति के पर्व के रूप में भी देखा जाता है।
गायों की पूजा कृष्ण की पूजा कथा गोवर्धन पर्वत की पूजा इस दिन आम बात है। गोवर्धन पूजा पर निबंध तथा गोवर्धन पर्वत उत्सव पर निबंध हिंदी में 10 लाइन के माध्यम से पढ सकते है।
गोवर्धन पूजा को ज्यादा तारीख किसानों के घर में मनाया जाता है क्योंकि वह पालतू जानवर गाय भैंस बकरी इत्यादि तरह के जानवर को पालते हैं और यह त्यौहार भी प्रकृति के उपलक्ष में मनाया जाता है।
जैसा कि कृष्ण के समय में मनाया जाता था इसके लिए बहुत पहले से लोग एक दूसरे को खुशियां बांटना शुरू कर देते हैं। दीपावली के अगले ही दिन गोवर्धन पूजा होता है।
तो चलिए गोवर्धन पूजा पर निबंध हिंदी में पूरी जानकारी ले सकते हैं।
गोवर्धन पूजा पर निबंध 500 शब्दों में। Essay on Govardhan Puja in Hindi
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। यह दीपावली के ठीक अगले दिन धूम धाम से मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार माना जाता है। इसमें श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत तथा गायों की पूजा का विशेष प्रचलन है। इसका विशेष महत्व भी प्रकृति को समर्पित माना जाता है। इसी वजह से इस त्यौहार को मनाया जाता है। भारतीय किसान अपने गायों को इस दिन पूजा करते हैं ऐसे तो इस दिन हर जानवर को नहाते हैं एवं उसको सुंदर बनाते हैं।
भारत के हर राज्य में गोवर्धन पूजा को उत्साह एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह प्रवृत्ति को की पूजा करने के लिए विधान है पुरानी परंपराओं के अनुसार ही आज भी मनाया जाता है। स्कूल कॉलेजों में इस दिन छुट्टी रहती है जिससे ढेर सारी शुभ या व्हाट्सएप के कृष्ण जी को हिंदू धर्म में सबसे बड़े भगवान माने जाते हैं।
कृष्ण भगवान की कृपा से के पाने के लिए गोवर्धन पूजा जरूर करते हैं क्योंकि कृष्ण के कहने पर ही इसकी शुरुआत हुई थी और वर्ष गोवर्धन पूजा करते माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाई जाती है।
यह आस्था का सबसे बड़ा पर्व है। उत्तर भारत में भव्य रूप से मनाया जाता है। गोवर्धन एक पर्वत का नाम है जहां पर गांव एवं अन्य पशुओं के साथ कृष्ण जी चराने जाते थे इसीलिए इस पर्व में सभी का महत्व बढ़ जाता है।
कई हिंदू भारत के प्रवासी विदेशों में भी इस त्योहार को मनाते हैं।
श्री कृष्ण के गांव वाले इंद्र देव की पूजा किया करते थे तब श्री कृष्ण ने यह सुझाव दिया कि इंद्र देव की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत तथा गायों की पूजा करें इसे इंद्रदेव को गुस्सा आया। जिससे मूसलाधार वर्षा कर उन सब को दंडित करने लगा कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को एक उंगली पर उठाकर ब्रज वासियों की रक्षा की किए। जिससे कई जीव जंतु एवं मनुष्य जाति बचाए गए।
अंत में इंद्र का घमंड चूर हो गया और उनसे माफी मांगी तब से इंद्र देवता की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत की पूजा किया जाने लगा।
कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत से मिलने नए वाले लाभ एवं गाय से मिलने वाले दूध के महत्व को बताया था। पर्वत को लाभकारी पता कर उनकी पूजा करने की आग्रह किया तब से गोवर्धन पर्वत की पूजा किया जाता है।
गाय के गोबर से पर्वत बनाकर स्किन पूजा किया जाता है। कृष्ण जी का पूजा भी होती है एवं नए अनाज से भोजन बनाकर भोग चढ़ाया जाता है।
इसी प्रसाद को अन्नकूट कहा जाता है इसलिए गोवर्धन पूजा को अंकुर पर भी कहा जाता है। यह त्यौहार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है।
यह समानता अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाया जाता है। इसके अगले दिवाली के अगले दिन इस त्योहार को मनाते हैं।
गोबर से गोवर्धन पर्वत के जैसे बनाकर उनकी पूजा करने का विशेष विधान है। उसके बाद श्री कृष्ण की पूजा की जाती है गायों को धोकर सिंह पर गेरुआ रंग से रंगा जाता है और उसकी पूजा की जाती है।
हिंदू धर्म में जिस प्रकार से पहले से मनाते आ रहे थे। उसी परंपरा के अनुसार से आज भी विश्व भर में बनाया जाता है तरह-तरह के पकवान का भोग भी श्रीकृष्ण को चढ़ाया जाता है। उनसे कृपा मांगी जाती है।
अंकुर का मतलब उनका समूह होता है। पूजा समाप्त होने के बाद तैयार भोजन को प्रसाद के रूप में सबके बीच बांटा जाता है। कृष्ण की नगरी में इस पर्व को लेकर काफी अधिक उत्साह रहती है।
पर हरे हरे घास अनाज ऑक्सीजन एवं पशुओं के चढ़ने के कारण दूध पीने से अच्छी सेहत एवं स्वास्थ्य बना रहता है इसलिए गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। इससे सुख समृद्धि मिलने की संभावनाएं बनी रहती है।
गोवर्धन पर्वत उत्सव पर निबंध हिंदी में 10 लाइन। 10 lines Essay on Govardhan Puja in Hindi
2). दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का त्यौहार ही आता है।
3). गोवर्धन पूजा के दिन गाय व मवेशियों की पूजा की जाती है।
4). गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है।
5). गाय बछड़ो और गोवर्धन पर्वत का विशेष महत्व होता है।
6). गोवर्धन पूजा प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है।
7). भारतीय किसान सुख समृद्धि के लिए गोवर्धन पूजा मनाते हैं।
8). गाय को हिंदू धर्मों में पूजनीय माना गया है क्योंकि इसमें देवी लक्ष्मी की वास होती है।
9). मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए कृष्ण में एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था उसमें बृजवासी सुरक्षित बचे हुए थे।
10). भारतीय हिंदू परिवारों ने गोवर्धन पूजा को धूमधाम से मनाते हैं।