गुरु पूर्णिमा पर निबंध। Essay on Guru Purnima in Hindi
गुरु पूर्णिमा को तीन धर्मों के लोग ज्यादातर मनाते हैं। विशेषकर हिंदू धर्म में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पवित्र आस्था का खास त्यौहारों में से एक है। वर्ष के मध्य में देश के कोने कोने में मनाया जाता है।
अपने से बडे गुरुजनों का सम्मान करने का विशेष महत्व होता है। इस समय वर्ष की शुरुआत मानी जाती है। जब गुरु पूर्णिमा का त्यौहार आता है। गुरु शब्द का सम्मान करने का सबसे खास दिनों में से एक होता है। गुरु पूर्णिमा पर निबंध तथा आषाढ गुरु पुर्णिमा पर निबंध हिंदी में 10 लाइन के माध्यम से पढ सकते है।
इस दिन भव्य तरीकों से मनाने के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की जाती है। प्रचंड गर्मी से लोगों को इस समय राहत मिलती है। खेतों में फसल लगना खेत खलियान हरा भरा रहता है। यह सभी चीजें हमारे मन को आकर्षित लगती है। इस समय कुछ चीजे जल्दी सीखते हैं। गुरु पूर्णिमा पर निबंध हिंदी में देख सकते है।
गुरु पूर्णिमा पर निबंध 700 शब्दों में। Essay on Guru Purnima in Hindi
गुरु पुर्णिमा तीन धर्मों में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। हिंदू, बौद्ध तथा जैन अनुयायियों द्वारा काफी धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के अलावा नेपाल, भूटान इन देशों में गुरु पूर्णिमा का महत्व देखने को मिलता है। काफी उत्साह श्रद्धा भक्ति के साथ मनाते हैं। दरअसल यह गुरुओं के प्रति समर्पित माना जाता है। इन देशों में गुरुओं को उत्तम स्थान दिया जाता है क्योंकि माता-पिता तो सिर्फ जन्म देते हैं लेकिन गुरु जन अपने त्याग लगन समर्पित भाव से ज्ञान को बांटते हैं और अच्छे कर्म का ज्ञान देते हैं। ज्ञान की ज्योति को जलाकर अज्ञान व अंधकार को दूर भगाते हैं। भारत में 5 सितंबर को भी शिक्षक दिवस मनाकर गुरुओं को सम्मान दिया जाता है परंतु यह राष्ट्रीय उत्सव माना जाता है लेकिन गुरु पूर्णिमा को धार्मिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा को गुरु वेद व्यास जी की जयंती मनाई जाती है। उन्होंने चारों वेदों की रचना की थी उस समय के सबसे विद्वान पुरुष कहलाये जाते थे।
इसलिए इन्हें आदि गुरु कह कर भी पुकारा जाता है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। वेद की रचना करने के कारण वेदव्यास नाम पड़ा संत कबीर दास के शिष्य संत घीसादास का जन्म इसी तिथि को हुआ था। गुरु ही भगवान के बारे में बताते हैं इसलिए गुरु का महत्व भगवान को मानने जैसा ही होता है। जून-जुलाई के महीने में मनाया जाता है। इस समय वर्षा की ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। गुरु ही सही गलत का फैसला करते हैं, गलतियों को सुधारते हैं, गुरुओं के द्वारा शिक्षा न दिया जाए तो अंधकार में ही जीवन रहेगा इसलिए वेदव्यास का जन्म उत्सव को सम्मान के साथ हर वर्ष मनाया जाता है। असत्य से सत्य की ओर, बुराई से अच्छाई की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में गुरु सहायक होते हैं। गुरु के बिना शिष्य का जीवन कभी सफल नहीं हो सकता है इसलिए इस दिन हरेक गुरुजनों की भावना को जगाने व सम्मान देने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
महर्षि वेदव्यास के जन्मदिन को मनाने के लिए गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। ऋषि पराशर के बेटे वेदव्यास थे उस जमाने के ज्ञानी विद्वान कहलाते थे इसलिए चार वेदों की रचना किया हिंदू धार्मिक ग्रंथों साहित्य की रचना भी किया। इसमें महाभारत भगवत गीता भी शामिल है हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इनके जयंती के दिन को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है क्योंकि विद्वान होने के कारण इन्हें गुरु कह कर सम्मान दिया जाता था इसलिए गुरुओं को महत्वपूर्ण स्थान देने एवं महत्व समझाने के लिए गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन का महत्व बुद्ध एवं जैन धर्म में भी माना जाता है। गौतम बुद्ध प्रथम बार उपदेश सारनाथ से शुरू किया था। गुरु पुर्णिमा प्रत्येक वर्ष आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा को मनाई जाती है। सामान्यता जून-जुलाई के माह में मनाया जाता है।
इस दिन क्षेत्रों के आधार पर अलग-अलग रूप से मनाया जाता है। अपनी संस्कृति के अनुसार से ही हिंदू, जैन एवं बौद्ध अनुयाई गुरु पूर्णिमा को मनाते हैं। वेदव्यास जी की पूजा की जाती है। मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करके इस उत्सव को मनाया जाता है। स्कूल, कॉलेजों में गुरुओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है। गुरुओं के सम्मान में कई प्रकार की प्रतियोगिताएं कराई जाती है। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी की जाती है। इस त्यौहार को नेपाल, भूटान में भी बड़े उत्साह से मनाई जाती है। इन देशों में बौद्ध और जैन अनुयायी की संख्या ज्यादा होती है। गुरु पूर्णिमा को ही नेपाल में गुहा पूर्णिमा के नाम से मनाते हैं। शिष्य गुरुओं को उपहार भेंट करते हैं। उनसे आशीर्वाद मांगते हैं और मार्गदर्शन कराने की कामना करते हैं। स्वादिष्ट व्यंजन गुरुओं को खिलाया जाता है।।
गुरु हमेशा अपनी ज्ञान की शक्ति से अच्छे मार्ग पर चलने को सिखाता है। किसी भी मनुष्य का पहला गुरु माता पिता को ही माना जाता है। उसके बाद शिक्षा देने वाले दूसरा गुरु कहलाते हैं जो अपनी मेहनत त्याग से अच्छी शिक्षा व गलत राह भटकने से बचाता है। ज्ञान की शिक्षा से परिपूर्ण कराता है। हमें गुरुओं का शुद्ध मन दिल से सम्मान करनी चाहिए एवं उनके बताए मार्ग पर चलने की सार्थक कोशिश करनी चाहिए तभी ऊँचाई पर पहुंचा जा सकता है।
आषाढ गुरु पुर्णिमा पर निबंध हिंदी में 10 लाइन। 10 lines Essay on Guru Purnima in Hindi
1). गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
2). हिंदू के चारों वेद महाभारत और कई हिंदू ग्रंथों के रचयिता का श्रेय गुरु व्यास को दिया जाता है।
3). महर्षि व्यास के द्वारा वेदों के रचयिता के कारण वेदव्यास के नाम से जाना जाता है।
4). महर्षि गुरु वेद व्यास के जन्म जयंती को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।
5). प्रत्येक वर्ष आषाढ़ के पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है।
6). हिंदू, जैन और बौद्ध अनुयायियों द्वारा आध्यात्मिक गुरु की महानता को प्रकट करने के लिए इसे मनाई जाती है।
7). आज से लगभग 3000 वर्ष पहले वेद महर्षि व्यास का जन्म हुआ था।
8). संस्कृत के विद्वान वेद व्यास को कहा जाता है।
9). महर्षि गुरु व्यास के सम्मान देने के लिए उनकी पूजा की जाती है।
10). भारत, भूटान एवं नेपाल की देशों में गुरु पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया जाता है।
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