पल-पल समय बितते रहते हैं उसी के अनुसार से पर्वो, त्योहारों का मौसम आता जाता रहता है। ये सभी त्योहारे खुशियां, आनंद और संदेश लेकर आती है। त्योहारों का यह सरगम लोगों में जोश और अच्छे जीवन जीने की उम्मीद देती है। मानव जीवन को हमेशा सुख में जीवन जीने की प्रेरणा देती है।
विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाया जाता है और महत्व क्या व किस प्रकार से मनाया जाता है?- Vishwakarma Puja Kyu Manaya Jata Hai.
त्यौहार चाहे किसी भी धर्म का हो या कोई अन्य समुदाय का उत्सव हो नई उम्मीदों से भर देती है।
उत्साह से भरती है हर त्यौहार हमें प्रेम, भाईचारा, मेल मिलाप से रहने और शांति का संदेश देती है।
इन सभी त्योहारों की सरगम में हिंदू धर्म का अनेक त्योहारों में एक महत्वपूर्ण त्योहार आता है जिसे मनाने के लिए काफी उत्सुक रहते हैं वो है विश्वकर्मा पूजा आइये जानते है.
विश्वकर्मा पूजा क्या है ?
विश्वकर्मा पूजा एक उत्सव है जो हिंदू धर्म में इसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। हिंदू धर्म में इसकी श्रृंखला हिंदू पर्व में काफी सबसे ऊपर है विश्वकर्मा को विश्व जगत का रचनाकार और देवी-देवताओं का वास्तुकार कहे जाते हैं।
हिंदी और अंग्रेजी में विश्वकर्मा पूजा ( Vishwakarma puja ) कहा जाता है।
सभी देवी देवताओं का अस्त्र-शस्त्र विश्वकर्मा भगवान ही बनाते थे। छोटी बड़ी जितना भी चीज हमारे आसपास है यानी निर्माता वो सभी विश्वकर्मा जी ने ही बनाया है इसलिए इन्हें विश्व का सबसे पहला वास्तुकार और इंजीनियर कहे जाते हैं।
वे सब ही नहीं बल्कि श्रमिक करने वाले भी वेल्डर कारीगर शिल्पकार तथा दिमाग और बुद्धि का उपयोग करने वाला भी विश्वकर्मा पूजा करके ही कोई शुभ कार्य करना शुरू करते हैं।
फैक्ट्रियों और हर प्रकार के मशीनों की पूजा इस दिन विशेष रूप से की जाती है। यह विश्वकर्मा जी के जयंती का दिन होता है। उनके जन्म दिवस के दिन विश्वकर्मा का पावन उत्सव मनाया जाता है।
छोटे बड़े बिजनेसमैन और श्रमिक विश्वकर्मा पूजा को काफी महत्व देते हैं इसे विश्वकर्मा जयंती भी कहा जाता है।
मशीनों कल कारखानों फैक्ट्रियां कंपनी और अन्य सभी चीजों को विश्वकर्मा जी के नाम पर पूजा जाता है उनकी आरती उतारकर विश्वकर्मा जी का आशीष लिया जाता है और उनसे प्रार्थना की जाती है।
सभी बाधाओं से छुटकारा दिलाते हैं जिससे हर काम में सफलता मिले।
विश्वकर्मा पूजा कब मनाया जाता है ?
हिंदू पंचांग के अनुसार से हर साल विश्कर्मा पूजा कन्या सक्रांति को मनाया जाता है। जय गुरु कैलेंडर के अनुसार से सितंबर के महीने में विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।
विश्वकर्मा जी का जन्म भादो मास मैं हुआ था। हिंदू वार्षिक कैलेंडर के मुताबिक प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।
वर्ष 2022 में विश्वकर्मा पूजा कब है?
वर्ष 2022 में विश्वकर्मा पूजा और विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर 2022 को पड़ रहा है यानी यह शनिवार का दिन पड़ता है।
तिथि - 17
महिना - सितंबर
वर्ष - 2022
दिन - शनिवार
अगस्त - तीसरा शनिवार
विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाया जाता है?
भगवान विश्वकर्मा जी विष्णु जी के सातवे अवतार माने जाते हैं उन्हें सभी कलाओं के मालिक कहे जाते हैं.
अपने परिश्रम और लगन से अनेकों महल तैयार किए सभी देवी देवताओं का महल आश्रम भी इन्होंने ही बनाया था.
जिससे अपने कलाकारी से देवी देवताओं का मन को हर्षित कर दिए और अपने कलाओं से देवी देवताओं को प्रसन्न किया सभी वस्तुओं का मालिक और निर्माता थे. इसलिए इन्हें वास्तुकार और वास्तुदेव कहे जाने लगे.
इन्हें कई अनेक रूपों में जाना जाता है पृथ्वी का सबसे पहला इंजीनियर कलाकार जैसे शब्दों से पुकारे जाते हैं अद्भुत आकर्षण और शोभनीय वस्तु बनाते थे इनके कलाओं के आगे सभी देवी देवताओं अपना सिर झुकाते थे.
सभी देवी देवताओं का अस्त्र-शस्त्र भी इन्होंने ही बना कर दिए स्वर्ग लोग को नया रूप भी इन्होंने ही दिए थे. सभी धन-संपत्ति की जिम्मेदारी विश्वकर्मा जी के पास ही रहती है विश्कर्मा जी के 5 पुत्र हैं.
मनु, त्वष्टा, शिल्पी, मय और दैवज्ञ यह सभी अलग-अलग वस्तुओं के जानकार और मालिक के देवता माने जाते हैं.
मनु को लोहे त्वष्टा को कांसे शिल्पी को ईंट मय को लकड़ी तथा देवज्ञ को सोने चांदी जैसे वस्तुओं की जिम्मेदारी विश्वकर्मा ही दिए थे सुख समृद्धि के भगवान है विश्वकर्मा भगवान इसलिए जितने भी काम करने वाला हो जिनसे काम होता हो जो मनुष्य की जरूरतों को पूरा करता है.
उस मशीन को विश्वकर्मा जी के नाम से पूजा की जाती है इसलिए भगवान विश्वकर्मा जी के जन्म जयंती पर विश्वकर्मा जी की पूजा कर उत्सव मनाया जाता है.
देवी देवता कोई भी हथियार या कोई भी वस्तु लेने से पहले विश्वकर्मा भगवान से प्रार्थना करते थे जिससे आशीर्वाद के द्वारा उन्हें प्रार्थना को स्वीकार किया जा सके.
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
इस दिन का महत्व काफी महत्वपूर्ण हो जाता है जब विश्वकर्मा पूजा का दिन आता है विश्वकर्मा भगवान को कलाओं का राजा कहा जाता है.
इसलिए धन दौलत एवं सुख समृद्धि करने वाला हिंदू धर्म का भगवान माना जाता है मान्यता है कि विश्वकर्मा भगवान ही पूरे ब्रह्मांड की रचना की थी वहां पर हर एक समान जो मानव की सुख सुविधा और उनके महत्व को प्रदर्शित कर सके कि सब चीज उन्होंने ही बनाया है विश्वकर्मा जी के जन्मदिवस को ही विश्वकर्मा जयंती या विश्वकर्मा पूजा कहा जाता है.
जितना महत्व देवी देवताओं के समय था उतना ही महत्व आज भी है इन्हें मशीनों का देवता भी कहा जाता है. आर्थिक रूप से मानव को विकास की ओर ले जाता है जब तक विश्वकर्मा बाबा का आशीर्वाद नहीं मिलती है.
तब तक सुख समृद्धि नहीं होता है चाहे छोटे व्यापारी हो चाहे बड़े व्यापारी या छोटे उद्योग हो फैक्टरी हो कल कारखाने हो चाहे वह बड़े हो सभी इनकी अनुकंपा से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है और चार चौगुनी धन की प्राप्ति होनी शुरू हो जाती है.
हिंदू देवताओं में से महत्वपूर्ण स्थान रखते है विश्वकर्मा जी का स्पेशल दिन माना जाता है. नौकरी करने वाला या बिजनेस करने वाला सभी इस दिन विश्वकर्मा जी का पूजा करते हैं.
विश्वकर्मा पूजा भारत के हरेक कोने में मनाया जाता है. इंडिया के अलावा विदेशों में भी मनाया जाता है भारतीय हिंदू जहा-जहा रहते हैं. वहां हिंदू परंपराओं विधानो के अनुसार से विश्वकर्मा जी का जयंती मनाते हैं.
विश्वकर्मा का अर्थ होता है के विश्व को बनाने वाला जिसे विश्व का स्वामी कहते हैं यानी अपने कलाओं के प्रति वफादार होना और मेहनत लगन करके मनुष्य के लिए हर एक जरूरतों के लिए उपयोगी और आसान बनाना.
शिल्पकार बुनकर मिस्त्री इंजीनियर चित्रकारी इत्यादि जैसे लोगों के लिए आशीर्वाद का कारण बनता है.
विश्कर्मा पूजा किस प्रकार मनाया जाता हैं?
विश्कर्मा पूजा हिंदू रीति रिवाज एवं विधानो के अनुसार से ही मनाया जाता है. यह पूरे भारत में इसका डंका बजता है,गाड़ियों सार्वजनिक स्थानों में विश्वकर्मा भगवान का पूजा की जाती है.
विश्वकर्मा पूजा हिंदू भाई बहनों के द्वारा ही ज्यादातर मनाया जाता है. अपने विधान के अनुसार ही मनाते हैं. हिंदुओं के सबसे बड़े भगवान विश्वकर्मा जी माने जाते हैं. उनके आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा दिवस के रूप में मनाते हैं.
हमारे आसपास दिखने वाला मशीन वस्तु जो मनुष्य को सुविधा देता है. यातायात से संबंधित हो या जरूरत की चीजें हो उसका इस दिन पूरी श्रद्धा से पूजा किया जाता है.
इसकी तैयारियां बहुत पहले से की जाती है इस दिन का लोग महिमा करते हैं.
सजाने धजाने मूर्तियों फोटो इत्यादि को खरीद कर घर में लगाते हैं. फैक्ट्रियों, कंपनियों में विश्वकर्मा का मंदिर बना होता है जिससे उनको आशीषे सालों साल भर मिलती रहे विश्वकर्मा जयंती पर इन सभी मंदिरों को सुंदर झड़ियों एवं बत्तियों से आकर्षित एवं शोभनीय रूप से सजाया जाता है.
सुबह होते ही मंदिर को धो दिया जाता है और पवित्र जल का छिड़काव कर मंदिर को शुद्ध किया जाता है.
सार्वजनिक स्थानों पर पंडाल बनाकर विश्वकर्मा जी के प्रतिमा को स्थापित कर पूजा पाठ की विधि शुरू की जाती है तथा कहीं-कहीं सुबह पवित्र स्थान का चयन कर वहां के स्थान को पवित्र एवं साफ किया जाता है और विश्वकर्मा के फोटो की पूजा की जाती है छोटे बड़े वाहनों में इनका फोटो लगाए रखते हैं।
इस दिन अपने अपने वाहन को धोकर फोटो पर माला अगरबत्ती फूल चढ़ाकर विश्वकर्मा जी को याद किया जाता है.
और प्रसाद को अपने आसपास के साथी को बांटा जाता है बसों, वाहनों कंपनियों, होटलों, फैक्ट्रियों, अस्पतालों एवं छोटे बड़े दुकानदारों स्टोरो मशीनों आदि को विश्वकर्मा पूजा के दिन विशेष रूप से इसकी पूजा की जाती है.
इस दिन दिन भर अलग अलग जगहों पर विश्वकर्मा जी का पूजन पाठ चलता रहता है.
पंडित एवं हिंदू धर्म गुरु विश्वकर्मा जी का पाठ कराते रहते हैं पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है.
अंत में 1 या 2 दिन के बाद विश्वकर्मा जी के प्रतिमा को भारी जल स्रोतों जैसे नदी झील तालाब इत्यादि में गाना बाजे के साथ विसर्जित किया जाता है।
• विश्वकर्मा पूजा के पहले शाम को मशीनों को साफ कर लेते हैं
• सुबह होते ही नहा धोकर लोग तैयार हो जाते हैं
• उसके बाद आसपास के लोगों को एवं साथी संबंधी को बुला लेते हैं
• पंडित के कथनों एवं नियमों अनुसार का पालन करते हैं
• विश्वकर्मा जी का नाम का ध्यान लगाकर पूजा करते हैं
• जमीन पर हल्दी चावल से आठ पंखुड़ियों वाला चित्र बना लेते हैं
• इसके बाद विविध तरीके से पूजा करते हैं
• विश्वकर्मा जी पर चढ़ने वाली सामग्री को चढ़ा देते हैं
• अंत में विश्वकर्मा की आरती और मशीनों की आरती उतारते है
• अंत मैं विश्वकर्मा के पूजा का प्रसाद सबों के बीच वितरण करते हैं
विश्कर्मा पूजा का संदेश क्या ?
विश्वकर्मा पूजा हमें ऐसे अनेकों सीख देते हैं क्योंकि यह एक कलाकारी की दुनिया में अपने आप में अहम और महत्वपूर्ण होता है.
जिसके पास किसी प्रकार का कला है वह कभी भटकता नहीं, हर मनुष्य के पास एक कला होता है जैसे कि विश्वकर्मा जी के पास था चूँकि वो देवी देवताओं के समय के कलाकारी थे हमारे आस पास जो भी दिखता है.
वह सब बनाया हुआ है इसलिए उसकी सम्मान करना चाहिए और बने हुए चीजों को अपमान नहीं करना चाहिए क्योंकि बना हुआ चीज पैसे से खरीदते है और वह मेहनत का से बनाया हुआ होता है.
जान कलाकारी का सहारा ना करते हैं और वह चीज हमारी जरूरतों को मूलभूत कार्यों में पूरा करता है कड़ी मेहनत, त्याग, तपस्या, विश्वास, धैर्य, साहब के कार्य करने का तरीका सिखाता है और सबसे बड़ी बात शिक्षा से परिपूर्ण बनाती है.
इसलिए आज की दुनिया में इंजीनियर डॉक्टर टीचर बनने के लिए अथक एवं कड़ी परिश्रम करते हैं। विश्वकर्मा जी भी वैसा ही थे उनके पास कला के भंडार थे इसलिए उन्हें पहला इंजीनियर कहे जाते हैं.
निष्कर्ष :-
विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाया जाता है और महत्व क्या व किस प्रकार से मनाया जाता है?- Vishwakarma Puja Kyu Manaya Jata Hai.
पसंद आया होगा धन्यवाद.