होलिका दहन के बारे में क्या जानते हैं? आप सभी लोग बहुत सालों से इस त्योहार को मनाते आ रहे होंगे क्योंकि होली के एक दिन पूर्व ही होलिका दहन मनाया जाता है. कुछ लोग होली के बारे में जानते हैं. लेकिन होलिका दहन क्यों और कैसे मनाया जाता है? इसके बारे में शायद ही जानते होंगे अपने आस पास के पड़ोस में भी इसे मनाने को लेकर काफी उत्साहित रहते हैं क्योंकि होलिका दहन और होली एक साथ इनके आगे पीछे मनाए जाता है. होली तो रंगों का त्योहार है.
लेकिन होलिका दहन किस चीज का त्योहार है. इसके इतिहास का महत्व क्या है? ऐसे उत्तर की उम्मीद करते हैं जिससे होली की तर्ज पर होलिका दहन को भी गहराई से जान पाए जिससे कई दिनों तक याद रहे. यह त्यौहार धार्मिक रूप से कितना जुड़ा है. वह मान्यता क्या है इस पोस्ट में इसी रूप से जवाब मिलेगी और जानेंगे होलिका दहन कब है 2023 में?
प्रमुखताएं ( Highlights )
• हिरण्यकश्यप की बहन के नाम पर होलिका दहन मनाया जाता है. दहन यानी जलाना । होलिका को जलाने की प्रथा है.
• वर्ष 2023 में होलिका दहन 7 मार्च को मनाया जाएगा. बुराई को नष्ट करने का दिन है. ये रात को हमेशा मनाया जाता है.
• ज्वलनशील पदार्थ गाय के गोबर से तैयार उपले इत्यादि को जलाने के दौरान बुराई को नष्ट किया जाता है.
संक्षेप में होलिका दहन क्या है? - Short Holika Dahan kya hai ?
होली के पूर्व संध्या को होलिका दहन कहा जाता है. यह भारतीय हिंदुओं का पारंपरिक त्योहार है. इस दिन अग्नि में लकड़ी गोबर के उपले तथा रवि फसल के खरा को जलाया जाता है.
पूरे भारतवर्ष में विशेषकर उत्तर भारत में हर्षोल्लास से होलिका दहन किया जाता है. समूह में लोग गाते बजाते हुए घर घर से लकड़ी का उपला मांगने जाते हैं.
तरह-तरह के पुआ पकवान बनाकर खाए जाते हैं. बुराई को त्याग कर अच्छाई को अपनाने की कोशिश करते हैं.
होलिका दहन क्या है? -Holika Dahan kya hai ?
होलिका दहन हिंदुओं का पारंपरिक प्रमुख त्योहार है. हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण पर्व है. सत्य की जीत के रूप में होलिका दहन का त्यौहार मनाते हैं.
असुर के पुत्र पहलाद भगवान विष्णु का प्रिय भक्त था असुर के लाख मना करने पर भी इसने भक्ति नहीं छोड़ा, हिरण्यकश्यप की आदेशानुसार असुर के बाद होलिका ने प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई. आग में होलिका तो जल गई लेकिन भक्त पहलाद को कुछ भी नहीं हुआ.
इसी याद में होलिका दहन त्यौहार को मनाया जाता है. प्रतिवर्ष होलिका दहन आती है. फागुन माह की पूर्णिमा के पूर्व संध्या को आता हें यानि होली से एक दिन पूर्व संध्या में होलिका दहन किया जाता है.
असत्य को हराकर सत्य की राह पर चलना और इसी को परंपरागत तरीके से आग जलाते हैं. उसी को होलिका दहन कहते हैं. हिंदी और अंग्रेजी में होलिका दहन ( Holika Dahan ) कहा जाता है.
इसे अन्य जगहों पर अगजा या छोटी होली, होलिका दीपक के नाम से भी जानते हैं होली के पूर्व वाली संध्या को भजन-कीर्तन, गाना बजाना यह सब कर होलिका दहन किया जाता है. भारत देश के कोने कोने में मनाया जाने वाला पर्व है. यहां तक कि विदेशों में भी इसी परंपरा के अनुसार होलिका दहन का त्यौहार मनाते हैं.
होलिका दहन कब मनाया जाता है? - Holika Dahan kab manaya jata hai?
होलिका दहन हर साल होली के पूर्व संध्या को मनाने की परंपरा होती है. हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है. यह रात को हमेशा मनाई जाती है इसलिए इस दिन चांदनी रात रहती है.
थोड़ी-थोड़ी प्रकाश पृथ्वी पर आती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार होलिका दहन मार्च के महीने में आता है.
होलिका दहन कब है 2023 में? - Holika Dahan kab hai 2023 mein?
वर्ष 2023 में होलिका दहन 7 मार्च को मनाया जाएगा. इस तिथि को मंगलवार का दिन पड़ रहा है. पिछले साल 2022 में होलिका दहन या अगजा 17 मार्च को मनाया गया था.
तिथि - 7
माह - मार्च
वर्ष - 2023
दिन - मंगलवार
अगले 5 वर्षों का होलिका दहन कब है? - agale 5 varshon ka Holika Dahan kab hai?
वर्ष तिथि दिन
2022 17 मार्च गुरुवार
2023 07 मार्च मंगलवार
2024 24 मार्च रविवार
2025 13 मार्च गुरुवार
2026 03 मार्च मंगलवार
होलिका दहन क्यों मनाया जाता है? - Holika Dahan kyo manaya jata hai?
होलिका दहन एक पारंपरिक त्योहार है. यह त्यौहार संदेश देती है कि बुराई कभी भी अच्छाई से ऊपर होकर कभी नहीं जीत सकती.
हमेशा अच्छाई की जीत निश्चित है. साल भर की बुराई को नष्ट कर अच्छाई को अपनाने का शुभ दिन माना जाता है. इसलिए इसके मनाने के पीछे एक कथा को मूल रूप से माना जाता है. विष्णु के सबसे बड़ा भक्त पहलाद ने विष्णु का जप बार-बार करते रहा, विष्णु के विरोधी हिरणकश्यप को यह बात बुरा लगा और उस पर क्रोधित हुआ प्रह्लाद को मारने की अनेक हथकंडे अपना लिया, लेकिन सब बेअसर रहा.
अंत में हिरण्यकश्यप की बहन यानी पहलाद की बुआ बच्चे को लेकर अग्निकुंड में बैठ गई. होलिका जल कर भस्म हो गई और पहलाद ज्यों का त्यों रहा, इसलिए इस दिन पूरे भारत में होलिका दहन की आग में बुराई को नष्ट किया जाता है.
होलिका के भष्म ( बुराई का अंत ) हो जाने की याद में होलिका दहन मनाया जाता है.
होलिका दहन का महत्व क्या है? -Holika Dahan ka mahatva kya hai?
होलिका दहन का महत्व हिंदू धर्म में खास बताई गई है, क्योंकि एक बुराई अनेक बुराइयों को जन्म दे सकती है, इसलिए इस आस्था के साथ बुराई को नष्ट करते है.
नकारात्मक चीज को जलाते हैं जिस तरह से हिरणकश्यप की बहन होलिका पहलाद को जलाने की मकसद से गयी थी-बुराई को जिताने गई थी अंत में उस बुराई की हार हुई और खुद होलिका ही भष्म हो गई जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का बड़ा परिमाण के रूप में देखा गया ऐसे तो आग पवित्र होती है, क्योंकि ये उष्मा भी देती है और बुराई को भष्म भी करती हैं.
अग्नि के चारों तरफ घूम घूम कर नकारात्मक ऊर्जा, नकारात्मक सोच एवं बुराई का अंत करती है अपशिष्ट पदार्थ को जलाते हुए तो बहुत बार देखा होगा लेकिन होलिका दहन को करने का एक खास उत्सव यह है.
होलिका दहन कैसे मनाया जाता है? -Holika Dahan kaise manaya jata hai?
होलिका दहन हमेशा रात में मनाया जाता है क्योंकि रात में आग जलाकर रोशनी फैलायी जाती है. घर घर में पुआ पकवान पकौड़ी विभिन्न तरह के चीजें बनाई जाती है.
रात में भात एवं करी के सब्जी के साथ पुआ इत्यादि खाए जाते हैं. गांव शहर कस्बों के घर घर जाकर दहन के लिए लकड़ी गोबर के उपले मांगने जाते हैं. ढेर सारी जलावर इकट्ठा करके खुली जगह पर जलाया जाता है.
इसके चारों तरफ परिक्रमा करके बुराई को छोड़ा नष्ट किया जाता है. हर राज्य में इसे बनाने का तरीका अलग हो सकता है लेकिन भावना एक ही होती है.
होलिका दहन का इतिहास व पौराणिक कथाएं- Holika Dahan ka itihas va pauraanik kathaen!
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार से माना जाता है कि जब असुर हिरण्यकश्यप इंद्र देव लोक पर अपना अधिकार जमा लिया था. वह विष्णु के नाम से खफा रहता क्योंकि हिंदू के सबसे बड़े भगवान थे इसीलिए लोग विष्णु के नाम लेते थे.
विष्णु नाम लेने वाले को मार डालते हैं तब विष्णु जी ने लीला रची और जब असुर हिरण्यकश्यप की पत्नी कयादु गर्भवती हुई और एक पुत्र को जन्म दिया. उसका बच्चे का नाम पहलाद था. वह एक विष्णु भक्त था.
हमेशा विष्णु के नाम लेता रहता था जबकि उसके राज्य में विष्णु नाम लेने से लोग डरते थे तब उसे विष्णु का नाम न लेने की सिफारिश की गई और चेतावनी भी दी गई फिर भी बालक विष्णु का नाम लेता रहा तो उसे सैनिकों के द्वारा कई कठोर दंड दिए फिर भी विष्णु का रट लगाते रहा फिर उसे हिरण्यकश्यप द्वारा मारने का आदेश सुनाया गया.
पह्लाद को मारने की बडी कोशिश की गई लेकिन विष्णु भक्त विष्णु नाम हमेशा उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने देता था तो हिरण्यकश्यप को स्मरण आया की मेरी बहन होलिका को वरदान प्राप्त है कि आग उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
हिरण्यकश्यप पह्लाद को गोद उठाकर बहन को आग में बैठने आदेश सुनाया बड़े जगह पर अग्नि जलाकर अपने गोद में लेकर बैठ गई हुआ ये कि पह्लाद विष्णु नाम लेने के कारण आग उस पर कोई प्रभाव नहीं डाल सका जबकि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अग्निदेव का वरदान रहने के बावजूद भी वह जलने लगी और अंत में पह्लाद बच गया और होलिका जल गई.
इसी कारण होलिका के नाम से होलिका दहन नाम पड़ा. हर साल होलिका दहन पर होलिका का दहन किया जाता है. आग की लपटें चारों तरफ से उसे जला देते हैं.
होलिका दहन के बारे में क्या सीखा- (Holika Dahan ke bare mein kya sikha)
होलिका दहन के बारे में आज बहुत कुछ सीखने जानने को मिला कि होलिका दहन क्यों और कैसे मनाया जाता है व इसका इतिहास का महत्व क्या है? ( Holika Dahan Kyon AurKaise Manaaya Jaata Hai ) साथ में होलिका दहन कब है 2023 में? यह सब संपूर्ण रुप से जानकारी मिली.