एक पर्व जाती है तो तुरंत दूसरे पर आ जाती है ये हमारे दिल को अंदर से शांति और खुशी देती है. नवरात्रि के आते ही कई कयास लगाए जाते रहे हैं. आगे की पर्व की जानकारी लेने की कोशिश करते हैं और देखते हैं कि लगातार पर्व ही पर्व आने वाला है तो और खुशी से झूम उठते हैं और अपने दोस्तों को बात करते हुए बताते हैं.
पर्वों को वह खुद धूमधाम से मनाने की इच्छा जाहिर अपने सगे संबंधियों संग करते हैं. इसलिए विशेष पर्वो का इंतजार बड़ी दिन से करते हैं. इसी क्रम में महाअष्टमी पर्व का आगमन होता है.
Mahaashtamee Kyon Manaee Jaatee Hai
महाअष्टमी क्या है ? (Mahaashtamee Kya Hai)
हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण दिन जो नवरात्रि के आठवें दिन को महा अष्टमी कहा जाता है. मां दुर्गा के आठवें अवतार की इस दिन विशेष पूजा की जाती है. यह दिन हिंदुओं के लिए काफी अहम दिन माना जाता है. दशहरा से 2 दिन पहले यह दिन आता है इसलिए मां दुर्गा को पूजा पाठ से प्रसन्न किया जाता है. कई लोग आठवें दिन मां दुर्गा का दर्शन करते हैं. हिन्दी और अंग्रेजी में महाअष्टमी ( Maha Ashtami ) या दुर्गा अष्टमी ( Durga Ashtami ) कहा जाता है. इन्हें महाअष्टमी, दुर्गा अष्टमी, शारदीय नवरात्र, अष्टमी नवरात्र, अष्टमी नवरात्रि का आठवां दिन के नाम से पुकारा जाता है. कहा जाता है मां दुर्गा के नाम से पूजा पाठ एवं आरती किया जाता है. इस दिन भी भारी संख्या में मां दुर्गा के दर्शन के लिए भक्त उमड़ते है और मां का आशीर्वाद पाते है. महाअष्टमी के बाद तथा महानवमी के पहले वाले दिन महाअष्टमी आती है. इस दिन मां दुर्गा की आठवीं रूप महागौरी की पूजा की जाती है.
महाअष्टमी कब मनाई जाती है ?
महाअष्टमी वर्ष में दो बार मनाई जाती है. पहला चैत्र महाअष्टमी को तथा दूसरा अश्विन महाअष्टमी.
हिंदू पंचांग के अनुसार से महाअष्टमी अश्विन के माह में मनाया जाता है वही ग्रेगोरियल कैलेंडर के अनुसार से सितंबर या अक्टूबर के महीने में अश्विन महाअष्टमी मनाई जाती है.
वर्ष 2022 में अश्विन महाष्टमी कब है ?
वर्ष 2022 में अश्विन महा अष्टमी 3 अक्टूबर 2022 यानी सोमवार के दिन पड़ रहा है.
तिथि - 3
माह - अक्टूबर ( दसवाँ माह )
वर्ष - 2022
दिन - सोमवार
अक्टूबर - पहला सोमवार
महाष्टमी क्यों मनाई जाती है ? ( Mahaashtamee Kyon Manaee Jaatee Hai )
मां दुर्गा के आठवें रूप का नाम महागौरी है उनकी शक्ति भी उसी प्रकार से हैं जैसे पिछले दिनों में थी. लेकिन महाअष्टमी उन सब दिनों से काफी अलग है. उनकी शक्ति भक्ति की पूजा इसलिए की जाती है. क्योंकि इसके पीछे एक कथा मानी जाती है. देवी पार्वती शिव शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी तो भगवान शंकर जी ने पार्वती को कुछ कह कर उनके दिल को ठेस पहुंचाए थे और देवी पार्वती उसी दिन से तपस्या में लीन हो गई. पास के जंगल में एक बहुत भूखा शेर था खाने की तलाश में वहां पहुंचा जहां पर देवी तपस्या कर रही थी. देवी को देख उनका भूख एवं लालसा जाग गई और मन ही मन खुश हो गया परंतु देवी को तपस्या करते देख इंतजार करना सही समझा और उसी के पास बैठ गया देवी को तपस्या करते-करते कई वर्ष लग गए जिसके कारण शरीर काफी कमजोर हो गया. जब माता काफी समय के बाद अपने निवास स्थान पर नहीं आई तो भगवान शिव से उनके पास पहुंचे. पार्वती को खराब हालत में देख शंकर जी को दुख हुआ तब शिवजी ने उन्हें गौर रंग का वरदान दिए. तब मां ने तपस्या खोली और पास में की हालत देख उनका दिल पिघल गया और उन पर काफी दया आ गई माॅ दुर्गारूपी ने उसे अपना सवारी बना लिया तब से गौर रंग का वरदान मिलने से महागौरी नाम पड़ा.
अपनी प्रधानों को महाअष्टमी के दिन भक्तों को देती है इसलिए महाअष्टमी मां दुर्गा के लिए और खास हो जाता है.
निष्कर्ष
हमें पूरी उम्मीद है कि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा कि
महाष्टमी क्यों मनाई जाती है ?
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